ब्यूरोः पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल से बाहर आ सकते हैं। इमरान खान शनिवार को अवैध विवाह मामले में बरी कर दिया गया, जिसके बाद वे कानूनी रूप से स्वतंत्र हो गए। इस्लामाबाद कोर्ट ने शनिवार को ये फैसला सुनाया।
بشریٰ بی بی نے جس بہادری سے اس فسطائیت و گھٹیا لوگوں اور مقدمے کا سامنا کیا ہے اس پر ان کو پوری قوم کا سلام۔ انہوں نے اپنی ثابت قدمی، وفاداری، بہادری سے گھٹیا مقدمات کا سامنا کر کے معاشرے کی ہر عورت کا سر فخر سے بلند کیا ہے۔ #قومی_لیڈر_پھر_سرخرو pic.twitter.com/9vITOz2708
— PTI (@PTIofficial) July 13, 2024
इस्लामाबाद की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी बुशरा बीबी द्वारा मामले में उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपीलों को स्वीकार कर लिया, जिससे इमरान को सलाखों के पीछे रखने वाला अंतिम मौजूदा कानूनी मामला साफ हो गया। बुशरा बीबी के पूर्व पति खावर फरीद मेनका की याचिका पर सुनवाई के बाद आम चुनावों से कुछ दिन पहले 3 फरवरी को रावलपिंडी की अदियाला जेल में ट्रायल कोर्ट ने दंपति को सात साल की सजा सुनाई थी।
عدت کیس تو کوڑے دان کا حصہ بن گیا لیکن دو سال سے جس طرح عمران خان اور انکی اہلیہ کا میڈیا ٹرائل کیا گیا، گھٹیا ترین الزامات لگائے گئے، جھوٹے گواہ پیش کیے گئے، حدود اللہ، عورت کی عزت کو پامال کیا گیا اس پر تاریخ اس کیس کے بنوانے والوں کو کبھی معاف نہیں کرے گی۔ #قومی_لیڈر_پھر_سرخرو pic.twitter.com/wCteSmvpXv
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अवैध विवाह मामले में इमरान खान और बुशरा बीबी पर 500,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह सजा उसी दिन आई थी जब इमरान खान और उनकी पत्नी को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे अब निलंबित कर दिया गया है। यह इमरान और उनके डिप्टी शाह महमूद कुरैशी को कथित तौर पर सरकारी रहस्यों को लीक करने के लिए सिफर मामले में 10 साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद आया, जिसमें दोनों को बरी कर दिया गया है।
बता दें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक को पिछले साल 9 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से अल कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तानी रेंजर्स ने की थी।
मामला क्या है?
यह मामला मेनका द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग से जुड़ा है, क्योंकि उन्होंने अपनी पूर्व पत्नी बुशरा बीबी से उस समय शादी की थी, जब वह अपने 'इद्दत' के दौर से गुजर रही थीं। इद्दत अवधि (3 महीने) एक प्रतीक्षा अवधि है, जिसे एक मुस्लिम महिला को अपने पति की मृत्यु या विवाह के विघटन के कारण पालन करना चाहिए। मेनका ने अपनी याचिका में बुशरा और खान के निकाह को "धोखाधड़ी" करार देते हुए कहा था कि यह विवाह उनके इद्दत के दौरान संपन्न हुआ था, जो उनके पति से तलाक के बाद हुआ था।
बुशरा बीबी के पूर्व पति ने पूर्व प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने शिकायतकर्ता के शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में दखल देकर अपने अनैतिक और अनैतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शिकायतकर्ता और उसके परिवार को कलंकित करते हुए उनका पूरा जीवन बर्बाद कर दिया। 49 वर्षीय बीबी पंजाब के एक जमींदार परिवार से आती हैं। उनकी पहली शादी मेनका से हुई थी, जो लगभग 30 साल तक चली, जो पंजाब के एक राजनीतिक रूप से प्रभावशाली परिवार से हैं।
इस मामले की पाकिस्तान में नागरिक समाज के साथ-साथ महिला कार्यकर्ताओं और वकीलों ने भी व्यापक रूप से आलोचना की थी और इसे महिलाओं के सम्मान और निजता के अधिकार पर प्रहार बताया था। कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद में फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जबकि लोगों के निजी जीवन में राज्य के दखल के खिलाफ कराची में एक प्रदर्शन ने भी इसकी निंदा की थी।