ब्यूरो: शारदीय नवरात्री का आगाज हो गया है। नवरात्रि के पहले दिन जगत जननी मां जगदम्बा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री के पूजन का विधान है। माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री है। इसलिए उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। धार्मिक मान्यता है कि शक्ति उपासना के महापर्व के पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन और पूजन से जीवन के हर तरह के क्लेश और बाधाएं दूर होती हैं। इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है। माता पार्वती भगवान शंकर की पत्नी हैं और उनका वाहन वृषभ यानी बैल है, इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति भक्ति और विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यहां जानें नवरात्रि 2024 का पहला दिन और मां शैलपुत्री के बारे में सब कुछ:
कौन हैं मां शैलपुत्री?
नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, सरल और दया से परिपूर्ण है। मां के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। वे नंदी नामक बैल पर सवार होकर संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। नंदी बैल को भगवान शिव का गण माना जाता है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी वन्य जीवों की रक्षक भी हैं और सौंदर्य व दया की प्रतिमूर्ति हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने वाले और व्रत रखने वाले भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के संकट दूर रहते हैं और विपत्ति के समय मां उनकी रक्षा करती हैं। वे अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और साधक के मूलाधार चक्र को जागृत करने में सहायता करती हैं। मूलाधार चक्र हमारे शरीर में ऊर्जा का केंद्र है, जो हमें स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।
नवरात्रि 2024 दिन 1: तिथि और घटस्थापना मुहूर्त
नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना की जाती है। घटस्थापना में तांबे या मिट्टी के कलश में देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है। इस बर्तन को नौ दिनों तक पूजा स्थल पर रखा जाता है। घटस्थापना के लिए गंगाजल, नारियल, लाल कपड़ा, मौली, रोली, चंदन, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, ताजे फल, फूलों की माला, बेलपत्र की माला और एक थाली में साफ चावल की जरूरत होती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से मनाई जा रही है।
आश्विन मास प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 3 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे 00:18 बजे
आश्विन मास प्रतिपदा तिथि समाप्त - 4 अक्टूबर को दोपहर 2:58 बजे
घटस्थापना मुहूर्त - 3 अक्टूबर को सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
नवरात्रि 2024 दिन 1: पूजा अनुष्ठान
देवी भागवत पुराण में मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा कैसे करें, इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। सुबह जल्दी उठकर साफ कपड़े पहनकर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके पूजा शुरू करें।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन भक्त ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनते हैं। इसके बाद एक आसन पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध किया जाता है और फिर उस पर मां दुर्गा की मूर्ति, तस्वीर या फोटो रखी जाती है। पूरे परिवार के साथ विधि-विधान से कलश स्थापना की जाती है।
घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री के ध्यान मंत्र का जाप करें और नवरात्रि व्रत का संकल्प लें। मां दुर्गा की प्रथम शक्ति मां शैलपुत्री की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। उनकी पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है।
देवी को कुमकुम चढ़ाएं और सफेद, पीले या लाल फूल चढ़ाएं। देवी के सामने धूप और दीप जलाएं। साथ ही शुद्ध घी के पांच दीपक जलाएं। इसके बाद देवी शैलपुत्री की आरती करें। फिर मां की कथा, दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें। परिवार के साथ मां की स्तुति का जाप करें। अंत में मां को भोग लगाकर पूजा पूरी करें। शाम की पूजा के दौरान मां की आरती भी करें और मंत्रों का जाप करें और ध्यान करें।
नवरात्रि 2024 दिन 1: भोग लगाने की सामग्री
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को दूध और चावल से बनी खीर का भोग जरूर लगाएं। इसके अलावा आप देवी को दूध से बनी सफेद मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं। देवी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को सफेद फूल चढ़ाएं।
नवरात्रि 2024 दिन 1: पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री संस्थिता रूपेण। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।