ब्यूरोः सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सरकार से अग्निपथ योजना पूरी तरह वापस लेकर सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करने की मांग की। उन्होंने सवाल किया कि सरकार बताए कि अग्निपथ योजना जैसा घातक सुझाव किसने कहने पर लागू किया गया। क्योंकि न तो देश की फौज की तरफ से ये मांग आई, न देश के नौजवान ने इसकी मांग की और न ही किसी राजनीतिक दल ने ऐसी मांग की।
देश की फौज और देश की सुरक्षा कभी राजनीति का विषय नहीं हो सकताः हुड्डा
उन्होंने कहा कि देश की फौज और देश की सुरक्षा कभी राजनीति का विषय नहीं हो सकता। ये देश जय जवान, जय किसान, जय संविधान का है भाजपा सरकार इसे जय धनवान का देश बनाना चाहती है, हम ऐसा नहीं होने देंगे। आगामी संसद सत्र में संपूर्ण विपक्ष मजबूती से लड़ाई लड़ेगा और अग्निपथ योजना को खत्म कराकर ही दम लेगा। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट करना चाहती है कि अग्निपथ योजना न देश हित में है, न देश की फौज के हित में है न देश के नौजवान के हित में है और न ही देश की सुरक्षा के हित में है। अग्निपथ योजना के किसी भी नये प्रारूप को देश स्वीकार नहीं करेगा। देश चाहता है कि ये योजना पूरी तरह से खत्म हो।
फौज को कई सारी खामियों का सामना करना पड़ रहाः सांसद
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पिछले 3-4 दिनों से तमाम खबरें बता रही है कि फौज के आंतरिक सर्वे में सामने आया है कि फौज को कई सारी खामियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए अब अग्निपथ योजना के आधे-अधूरे रोल बैक पर भी मंथन हो रहा है। इसमें अग्निवीर का कार्यकाल 4 साल से बढ़ाकर 7 साल करना, 25 प्रतिशत की बजाय 60 से 70 प्रतिशत को फौज में लेना। आंतरिक सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि अग्निवीरों की ट्रेनिंग भी पर्याप्त नहीं है। इसलिए ट्रेनिंग पीरियड 24 हफ्ते से बढ़ाकर 42 हफ्ते तक करने की बात कही जा रही है।
उन्होंने बताया कि फौज की आंतरिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक तैयारियों के संबंध में रक्षा उपकरणों की देख-रेख करने के लिये फौज को सीनियर टेक्निकल कर्मचारियों की जरुरत होती है, इसमें भी काफी कमी आयी है और आगे काफी बड़ी कमी आ सकती है। इसी तरह सेना में एक दूसरे का सहयोग करने और एक दूसरे पर जान न्यौछावर करने का जो जज्बा होता था उसमें भी कमी आयी है। आपस में प्रतिस्पर्धा का माहौल बन गया है जो किसी भी फौज के लिये अच्छा नहीं है। अग्निपथ योजना से फौज के मनोबल और आपसी तालमेल में जो गिरावट आयी है वो इस बात का सबूत है कि ये योजना दूरदर्शी सोच से नहीं लायी गयी। दीपेन्द्र हुड्डा ने आधे-अधूरे रोल बैक के किसी भी सुझाव को खारिज किया और सरकार से देश की जनभावना को स्वीकार कर सेना में पहले की तरह 100 प्रतिशत पक्की भर्ती दोबारा शुरु करने की मांग की।
देश की फौज के प्रति सरकार का रवैये पर लग रहे प्रश्नचिन्हः दीपेन्द्र हुड्डा
दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि देश की फौज के प्रति सरकार का रवैये पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। बिना चर्चा के फौज की भर्ती की प्रक्रिया ही बदल दी गई। और तो और नयी सरकार के शपथग्रहण समारोह में देश की सेना का अपमान किया गया। शपथग्रहण के दौरान सीडीएस और तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्षों को पांचवी - छठीं पक्ति में जगह दी गयी। जबकि, अगली पंक्ति में देश के धनाड्य, अभिनेताओं को जगह दी गयी। ये फौज का कैसा सम्मान है? बीजेपी सरकार ने रेवाड़ी की धरती से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ का वायदा किया था; अब नो रैंक, नो पेंशन ले आई। अग्निपथ योजना से सरकार प्रतिवर्ष केवल 1054 करोड़ रुपये की बचत करेगी। इससे ज्यादा पैसा तो सरकार हर साल अपने प्रचार विज्ञापनों पर ही खर्च कर रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने तंज किया कि सरकार यदि थोड़ा कम खर्च कर लेती तो देश के करोड़ों नौजवानों के सपनों और फौज के मनोबल को न तोड़ना पड़ता।
अग्निपथ योजना के दुष्परिणामों पर बोले दीपेन्द्र हुड्डा
दीपेन्द्र हुड्डा ने अग्निपथ योजना के दुष्परिणामों के बारे में बोलते हुए कहा कि देश के नौजवान में देश भक्ति की कमी नहीं है लेकिन फौज में भर्ती के प्रति नौजवानों की रुचि कम हो गयी है। एक तिहाई अग्निवीर ट्रैनिंग बीच में ही छोड़कर वापस लौट रहे हैं। देश के बार्डर के लिये लड़ने की होड़ कम हो गयी लेकिन डोंकी के रास्ते पनामा जंगल होते हुए दूसरे देशों की बार्डर क्रास करने के बारे में हरियाणा का नौजवान सोच रहा है। ‘इंडिया एंप्लायमेंट रिपोर्ट 2024’ रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बेरोजगारी के चलते हरियाणा से भयंकर पलायन हो रहा है। हरियाणा के 55% पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में प्रदेश छोड़कर पलायन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों से बड़ी संख्या में नौजवान फौज में भर्ती होते रहे हैं। लेकिन इस योजना के बाद अगर केवल हरियाणा का जिक्र करें तो पहले हरियाणा में जहां हर साल 5500 की पक्की भर्ती होती थी। अब वहीं हरियाणा से 923 अग्निवीर लिये गये और 4 साल बाद करीब 200 को ही पक्का किया जायेगा। फौज में भर्ती की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर खाली हो गये हैं। इस योजना के चौतरफा दुष्परिणाम आ रहे हैं।