Friday 22nd of November 2024

महिला शक्ति: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान को सलाम

Reported by: PTC Bharat Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  August 08th 2024 04:50 PM  |  Updated: August 08th 2024 04:50 PM

महिला शक्ति: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान को सलाम

ब्यूरो: भारत की ब्रिटिश शासन के काले काल से आजादी के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। इन स्वतंत्रता सेनानियों में कई महिलाएं थीं, जिन्होंने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ी। महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, बल्कि समाज द्वारा उन्हें सौंपी गई पारंपरिक भूमिकाओं को चुनौती देते हुए आगे बढ़कर इसका नेतृत्व भी किया। आइए जानते हैं कुछ उल्लेखनीय महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में, जिनके योगदान ने भारत के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

रानी लक्ष्मीबाई 

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी ये वाक्य ही बताने के लिए काफी है कि रानी लक्ष्मीबाई की आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका थी। रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक हैं। अपनी बहादुरी के लिए जानी जाने वाली रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के भारतीय विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कम उम्र में विधवा होने के बाद, उन्होंने अपने बेटे को अपनी पीठ पर बांधकर बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गईं।

उषा मेहता 

22 साल की कानून की पढ़ाई करने वाली उषा मेहता ने गांधी जी की विचारधारा से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गई थी। कई चुनौतियों का सामना करते हुए उषा मेहता ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कांग्रेस रेडियो की स्थापना की। ब्रिटिश सरकार के प्रतिबंधों के बावजूद भी 3 सितंबर, 1942 को कांग्रेस रेडियो का उद्घाटन किया। सरकार की सेंसरशिप को दरकिनार करते हुए, उषा ने आंदोलन से जुड़ी जानकारी को रेडियो के माध्यम से प्रसारित किया। कांग्रेस रेडियो के गुप्त संचालन ने कारण ब्रिटिश अधिकारियों ने उषा मेहता और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया।

सरोजिनी नायडू 

'भारत की कोकिला' के रूप में पहचानी जाने वाली सरोजिनी नायडू ने खुद को एक कवि, आकर्षक वक्ता और दृढ़ स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रतिष्ठित किया। उनके वाक्पटु भाषण और प्रभावशाली साहित्यिक रचनाएँ भारतीयों के दिलों में गहराई से उतर गईं और वैश्विक श्रोताओं पर एक अमिट छाप छोड़ गईं। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा कर ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ जन भावना को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कमला नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थीं। उन्होंने विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया और सविनय अवज्ञा आंदोलन में अपनी भूमिका के लिए जेल भी गईं। आजादी के लिए कमला नेहरू का समर्पण व महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए उनके प्रयासों को अच्छी तरह से याद किया जाता है।

एनी बेसेंट 

ब्रिटेन की एक कार्यकर्ता एनी बेसेंट ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को उत्साहपूर्वक अपनाया। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति उनके गहरे सम्मान ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया, जहां उन्होंने स्वशासन के आह्वान का जोरदार समर्थन किया। धार्मिक और सामाजिक विभाजनों को पार करते हुए भारतीयों के बीच एकता बनाने के बेसेंट के अथक प्रयासों ने राष्ट्रवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अरुणा आसफ अली 

अरुणा आसफ अली, जिन्हें स्वतंत्रता आंदोलन की "ग्रैंड ओल्ड लेडी" कहा जाता है। अरुणा ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और कई व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान जेल गईं। उन्होंने साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अडिग संकल्प का परिचय दिया। इस आंदोलन के दौरान उन्होंने मुंबई के गोवालिया मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराया था। अरुणा ने राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर कांग्रेस की मासिक पत्रिका 'इंकलाब' का संपादन किया और ऊषा मेहता के साथ कांग्रेस के एक गुप्त रेडियो स्टेशन से प्रसारण करना शुरू किया। उनकी स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान गुप्त अभियानों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। 

इन महिला स्वतंत्रता सेनानियों के उल्लेखनीय योगदान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके साहस, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व ने न केवल ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, बल्कि महिलाओं की पीढ़ियों को अपने अधिकारों और समानता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

PTC NETWORK
© 2024 PTC Bharat. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network