ब्यूरो: नीट-यूजी 2024 (NEET UG 2024) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि नीट-यूजी 2024 के पेपर (Paper) में कोई व्यवस्थागत उल्लंघन (systemic violation) नहीं हुआ है। लीक सिर्फ पटना और हजारीबाग (Patna and Hazaribagh) तक सीमित ( limited) था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र द्वारा गठित समिति परीक्षा प्रणाली की साइबर सुरक्षा में संभावित कमजोरियों की पहचान करने, जांच बढ़ाने की प्रक्रिया, परीक्षा केंद्रों की सीसीटीवी निगरानी के लिए तकनीकी प्रगति के लिए एसओपी तैयार करने पर भी विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि NEET-UG 2024 परीक्षा का पेपर लीक कोई व्यापक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह पटना और हजारीबाग जैसे कुछ खास स्थानों तक ही सीमित था। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि पूरी परीक्षा को प्रभावित करने वाला कोई व्यवस्थागत उल्लंघन नहीं था, लेकिन इस घटना ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के भीतर संरचनात्मक प्रक्रियाओं के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा की हैं, जो परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार निकाय है। शीर्ष अदालत ने यह स्पष्टीकरण इस बात पर दिया कि उसने परीक्षा रद्द क्यों नहीं की।
NEET-UG 2024: Supreme Court in its judgement says the committee constituted by the Centre also consider framing SOP for technological advancements to identify potential weaknesses in the cyber security of the examination system, processes for enhanced identity checks, CCTV…
— ANI (@ANI) August 2, 2024
अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने NTA की मौजूदा प्रक्रियाओं में विभिन्न कमियों की ओर इशारा करते हुए तत्काल सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। अदालत ने अपने फैसले में कहा, "हम छात्रों की बेहतरी के लिए ऐसा नहीं कर सकते...जो मुद्दे उठे हैं, उन्हें केंद्र को इसी साल ठीक करना चाहिए ताकि यह दोहराया न जाए।" मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 23 जुलाई को सुनाए गए आदेश के विस्तृत कारणों में कहा कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को अपना ढुलमुल रवैया बंद करना चाहिए, जो इस वर्ष देखा गया, क्योंकि यह छात्रों के हित में नहीं है।