ब्यूरो: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।
वहीं इस मामले में सीबीआई ने भी अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। कपिल सिब्बल ने कहा है कि चिकित्सकों की हड़ताल के दौरान 23 लोगों की मौत हो गई। हमने जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सिब्बल ने बताया कि डॉक्टरों के काम न करने की वजह से 23 लोगों की मौत हो गई है।
मामला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच में सुनवाई के लिए लिस्टेड है। 9 अगस्त को, एक सरकारी अस्पताल के अंदर ड्यूटी पर मौजूद एक चिकित्सक के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। मामले के सिलसिले में अगले दिन पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया। इस भयावह घटना से पूरे देश में आक्रोश फैल गया।
22 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में CBI ने कोर्ट में कहा था कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। इस पर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा- कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी।
इस बीच केंद्र सरकार ने 3 सितंबर को पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका लगाई थी। केंद्र का आरोप है कि बंगाल सरकार आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में तैनात CISF जवानों को परिवहन और आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 21 अगस्त को CISF के 92 जवान आरजी कर की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। इनमें 54 महिलाएं भी हैं। इन्हें अपने हथियार रखने की भी जगह नहीं मिली है। केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद भी बंगाल सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार पर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सुरक्षा प्रदान करने के लिए सीआईएसएफ को रसद सहायता प्रदान करने में "अक्षम्य" असहयोग का आरोप लगाया गया है। अपने आवेदन में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार के कथित असहयोग को "एक प्रणालीगत अस्वस्थता का लक्षण" बताया है और राज्य के अधिकारियों को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को पूर्ण सहयोग प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की है।
पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने क्या कहा था?
22 अगस्त को, अदालत ने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी के लिए कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने विरोध कर रहे डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की और कहा कि "न्याय और चिकित्सा" को रोका नहीं जा सकता। इसके अलावा, इसने कहा कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक निर्देश जारी कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को "भयावह" करार दिया और जवाब में कई निर्देश जारी किए। इनमें डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन शामिल था।
कोलकाता में चिकित्सक के बलात्कार और हत्या से संबंधित एक स्व-प्रेरणा मामले की सुनवाई करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यस्थल सुरक्षा की कमी पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि देश बलात्कार या हत्या के बाद वास्तविक बदलाव होने का इंतजार नहीं कर सकता।
चिकित्सक का शव 9 अगस्त को अस्पताल के छाती विभाग के सेमिनार हॉल के अंदर गंभीर चोट के निशान के साथ मिला था। अगले दिन मामले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था। 13 अगस्त को, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच को कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंप दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की।