ब्यूरो: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन को बड़ी राहत देते हुए जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनको जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का ट्रायल कोर्ट पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का 28 जून का आदेश "बहुत ही तर्कसंगत" था। पीठ ने कहा, "हम विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।" उच्च न्यायालय में सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए राज्य की राजधानी रांची के बार्गेन इलाके में 8.86 एकड़ जमीन "अवैध रूप से" हासिल की। ईडी ने क्या दावा किया? सोरेन के वकील ने तर्क दिया था कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें आपराधिक मामले में झूठा फंसाया है। ईडी ने दावा किया था कि जांच के दौरान सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि झामुमो नेता ने उन्हें भूखंड के स्वामित्व विवरण को बदलने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करने का निर्देश दिया था।
झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सोरेन की वापसी यहां यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि मामले में 31 जनवरी को ईडी द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने से कुछ समय पहले सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। ईडी ने उनसे उनके आवास पर पूछताछ करने से पहले कई बार तलब किया और उसके बाद 31 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। मामले में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद, वह 4 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में लौट आए। ऐसा कहा जाता है कि सोरेन की सीएम के रूप में वापसी से झामुमो को मजबूती मिलेगी, जिसने लोकसभा चुनाव में आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में तीन सीटें जीती थीं।