ब्यूरोः कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। उनके परिवार के सूत्रों ने बताया कि 93 वर्षीय सिंह ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ हफ्तों से यहां इलाज करा रहे थे।
परिवार के एक सूत्र ने बताया कि उनका बेटा अस्पताल में है और उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक राज्य से कई अन्य परिवार के सदस्य दिल्ली आ रहे हैं। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।" सूत्र ने बताया कि शनिवार देर रात उनका निधन हो गया।
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन का समाचार दुखद है ।ईश्वर उनके परिजनों को यह क्षति सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें। pic.twitter.com/WAP3HQJlgF
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 10, 2024
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक्स पर पोस्ट करके लिखा कि पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन का समाचार दुखद है। ईश्वर उनके परिजनों को यह क्षति सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें।
Pained by the passing away of Shri Natwar Singh Ji. He made rich contributions to the world of diplomacy and foreign policy. He was also known for his intellect as well as prolific writing. My thoughts are with his family and admirers in this hour of grief. Om Shanti. pic.twitter.com/7eIR1NHXgJ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 11, 2024
पीएम मोदी ने नटवर सिंह के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके लिखा कि नटवर सिंह जी के निधन से बहुत दुःख हुआ। उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में बहुत बड़ा योगदान दिया। वे अपनी बुद्धिमता के साथ-साथ विपुल लेखन के लिए भी जाने जाते थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।
यूपीए-1 सरकार में रहे थे विदेश मंत्री
कांग्रेस के पूर्व सांसद सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे। राजस्थान के भरतपुर जिले में 1931 में जन्मे सिंह एक अनुभवी राजनयिक थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कूटनीति के क्षेत्र में काफी अनुभव प्राप्त किया। कांग्रेस नेता महाराजा के जीवन से लेकर विदेशी मामलों की बारीकियों तक कई विषयों पर एक विपुल लेखक भी थे। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं। उनकी आत्मकथा का शीर्षक 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' है। 1984 में राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।