ब्यूरोः पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जो शांति और अमन के लिए जाना जाता है लेकिन जब बात अपने गौरव की आती है तो भारत अपने दुश्मनों से निपटना भी जानता है। बता दें कि इस आजादी के लिए भारत का संघर्ष देश के प्रत्येक नागरिक के अपार साहस, समानता और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। स्वतंत्रता के प्रति भारत का समर्पण उस समय आया जब देश वर्षों के औपनिवेशिक शासन, सामाजिक असमानता और राजनीतिक अधीनता से जूझ रहा था, जो एक विविध राष्ट्र की अपनी नियति स्वयं निर्धारित करने की इच्छा को दर्शाता था।
इस आजादी के लिए देश को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। आजादी के बाद से भारत ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और असंख्य उपलब्धियां हासिल की हैं। देश खाद्य से लेकर रक्षा और सुरक्षा तक सभी क्षेत्रों में बदलाव की ओर बढ़ रहा है। आज हम कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो गये हैं। भारत ने वैश्विक मंच पर अपना मान बढ़ाया है।
बता दें कि एक समय था जब हम रक्षा क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। लेकिन अब इस क्षेत्र में भारत की स्थिति धीरे-धीरे बदल रही है। भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे लेकिन लगातार आगे बढ़ रहा है।
जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, भारत रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक वस्तुओं के आयात को कम कर रहा है और 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत घरेलू बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दे रहा है। आयात कम करने का मतलब यह नहीं है कि देश को उन वस्तुओं की आवश्यकता नहीं है या हमने उन वस्तुओं का उपयोग बंद कर दिया है, बल्कि भारत अब उन वस्तुओं को अपने देश में ही बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से, भारत एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र विकसित करने की अपनी महत्वाकांक्षा पर दृढ़ रहा है। बता दें कि भारत ने आज रक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। आज दुनिया के ज्यादातर देश ज्यादातर लड़ाकू हथियार और उपकरण खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिनमें भारत में बने तेजस जैसे लड़ाकू विमान भी शामिल हैं। भारत के पास आज राफेल जैसे लड़ाकू विमान हैं। आज दुनिया भारत को परमाणु हथियारों से परिपूर्ण देश कहती है।
भारत की प्रारंभिक चुनौतियां क्या थीं?
बता दें कि आजादी के बाद भारत को रक्षा क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। चूंकि देश में स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का अभाव था, इसलिए सेना उपकरणों के लिए अन्य देशों से आयात पर बहुत अधिक निर्भर थी। हालाँकि, 1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की स्थापना जैसी प्रमुख उपलब्धियों ने तकनीकी प्रगति के लिए एक ठोस आधार प्रदान किया।
रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से स्वदेशी उत्पादन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत को धीरे-धीरे सैन्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की अहमियत का एहसास हुआ। इसलिए देश ने विभिन्न देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाई है और स्वदेशी अनुसंधान और विकास पहल को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) सहित कई रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना हुई।
परमाणु क्षमता और मिसाइल प्रौद्योगिकी
1974 और 1998 में अपने परमाणु परीक्षणों के सफल संचालन से भारत की रक्षा यात्रा को और गति मिली। इसने भारत को परमाणु-सशस्त्र राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा कर दिया, जिससे क्षेत्र में इसकी रणनीतिक स्थिति मजबूत हो गई। साथ ही भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी जैसे अग्नि श्रृंखला, पृथ्वी और ब्रह्मोस के विकास ने मिसाइल प्रणालियों में देश की ताकत का प्रदर्शन किया।
रक्षा खरीद नीति और मेक इन इंडिया पहल
घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने 2016 में रक्षा खरीद नीति पेश की। नीति में आयात निर्भरता की चिंताओं को संबोधित करते हुए स्वदेशी विनिर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया। तब निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल शुरू की गई थी।
अनुसंधान और विकास
डीआरडीओ की स्थापना ने भारत के रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डीआरडीओ ने मिसाइल रक्षा प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और उन्नत रडार प्रणाली सहित विभिन्न उन्नत प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं। शैक्षणिक संस्थानों और क्षेत्र में कुशल निजी विशेषज्ञों के बीच सहयोग के माध्यम से रक्षा प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी अनुसंधान और नवाचार के विकास को सुविधाजनक बनाया गया।
भारत के पास है दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना
पिछले साल वैश्विक रक्षा से जुड़ी सूचनाओं पर नजर रखने वाली डेटा वेबसाइट ग्लोबल फायरपावर ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं की एक सूची जारी की थी। बता दें कि सैन्य ताकत की उस सूची के मुताबिक भारत चौथे स्थान पर है। भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना है। भारत के पास हजारों टैंक और सैकड़ों फाइटर जेट हैं। भारत तोपखाने और मिसाइलों से भी समृद्ध है और तेजी से प्रगति कर रहा है।
अपनी प्रारंभिक चुनौतियों से लेकर वर्तमान उपलब्धियों तक, भारत के रक्षा क्षेत्र ने आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनने में काफी प्रगति की है। रणनीतिक साझेदारी, स्वदेशी विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास ने भारत को वैश्विक रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है।