ब्यूरोः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं। सर्वेक्षण को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन और उनकी टीम ने लिखा है।
इकोनॉमिक सर्वे की प्रमुख बातें
- वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान, जबकि 2023-24 में यह 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का अभूतपूर्व तीसरा लोकप्रिय जनादेश राजनीतिक तथा नीतिगत निरंतरता का संकेत देता है।
- अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू स्तर पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले तत्वों ने आर्थिक वृद्धि को सहारा दिया।
- भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में उसकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है।
- वैश्विक महामारी के प्रभावों से पूरी तरह निकलने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी।
- व्यापार, निवेश तथा जलवायु जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाना असाधारण रूप से कठिन हो गया है।
- अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है, लेकिन भारत को दलहनों में लगातार कमी और परिणामस्वरूप मूल्य दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
- मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है।
- गरीब तथा निम्न आय वाले उपभोक्ताओं के लिए उच्च खाद्य कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या उचित अवधि के लिए वैध निर्दिष्ट खरीद के वास्ते ‘कूपन’ के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है।
- यह पता लगाने के तरीके सुझाए गए हैं कि क्या भारत के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को खाद्य वस्तुओं को छोड़कर मुद्रास्फीति दर को लक्षित करना चाहिए।
- भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि तथा इसका प्रभाव आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है।
- भारत के वित्तीय क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल है।
- चूंकि वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए।
- बेहतर कॉरपोरेट और बैंकों के बही-खाते से निजी निवेश को और मजबूती मिलेगी। * भारत की नीतियां चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपट पाई, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की गई।
- कर अनुपालन लाभ, व्यय संयम और डिजिटलीकरण ने भारत को सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल करने में मदद की।
- भारत की वृद्धि गाथा में पूंजी बाजार प्रमुख बन रहा है; बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक, आर्थिक झटकों से निपटने में समक्ष बना हुआ है।
- कृत्रिम मेधा (एआई) के सभी कौशल स्तर के श्रमिकों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर काफी अनिश्चितता।
- चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
- देश में 54 प्रतिशत रोग अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होते हैं; संतुलित, विविध आहार की ओर बदलाव की जरूरत ।
- देश में विदेश में बसे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन 2024 में 3.7 प्रतिशत बढ़कर 124 अरब डॉलर हुआ। 2025 में इसके 129 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है।