जगन्नाथ रथ यात्रा के 10 दिन का शेड्यूल, जानिए किस वजह से मौसी के घर जाते हैं भगवान
ब्यूरोः ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तैयारी जोरों-शोरों से चल रही है। ऐसी मान्यता है कि रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से मन शुद्ध होता है और पापों से मुक्ति मिलती है। जगन्नाथ रथ यात्रा 10 दिनों तक चलती है। इसमें भव्य रथों पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा देवी और बलराम गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।
कब होगी रथ यात्रा की शुरुआत
हिंदू पांचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह की द्वितीया तिथी को भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर यात्रा के लिए निकलते हैं। इस बार 7 जुलाई 2024 को रथ यात्रा निकाली जाएगी। इस बार द्वितीया तिथि 7 जुलाई को 3 बजकर 44 मिनट अहले सुबह से शुरु होगी और द्वितीया तिथि समाप्त 8 जुलाई अहले सुबह 4 बजकर 14 मिनट पर होगी। जिस वजह से श्रद्धालुओं को पूरे दिन पूजा पाठ करने का मौका मिलेगा। ज्योतिषि के अनुसार इस बार रथ यात्रा के दिन पांच शुभ योग बन रहें हैं जो बहुत ही दुर्लभ है।
रथ यात्रा के दस दिन का पूरा शेड्यूल
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत - रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई 2024 को होगी। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को रथों में विराजमान कराया जाएगा और वे सिंहद्वार से निकलकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे।
8 से 15 जुलाई 2024 - रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे, जहां भक्त दर्शन करते हैं। यहां उनके लिए विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इस परंपरा का पूरी तरह से निर्वाह किया जाता है।
रथ यात्रा का समापन- 16 जुलाई 2024 को रथ यात्रा का समापन होगा। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा वापस जगन्नाथ मंदिर लौटेंगे।
क्यों निकाली जाती है रथयात्रा
हिंदू पांचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ महीने की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। पद्म पुराण के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा प्रकट की थी। तब जगन्नाथ भगवान और बलराम अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने गए थे। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और सात दिन ठहरे थे। तब से यहां रथयात्रा निकालने की परंपरा है।
गुंडीचा मंदिर का महत्व
गुंडीचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ के मौसी का घर कहा जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प दर्शन कहा जाता है। दर्शन के दौरान लाई, गजामूंग, नारियल, मालपुए आदि के महाप्रसाद का भोग भगवान जगन्नाथ को लगाया जाता है। जिसके बाद भगवान वापस अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर चले जाते हैं।