अमृतपाल सिंह की जीत के कई मायने, उन पर लगाए NSA पर अब सवाल उठने लाजिमी
चंडीगढ़: प्रीत मेहता : पंजाब ही नही बल्कि पूरे देश में कल आए लोकसभा के चुनावी नतीजों में अगर कोई एक सीट सबसे बड़े सवाल खड़े कर रही है तो वह है पंजाब के खड्डुर साहेब की सीट। क्योंकि इस सीट से जो उम्मीदवार जीता है वह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है जिसे नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत एहतियात के तौर पर पिछले करीब सवा साल से कैद किया हुआ है। वह है वारिस पंजाब दे के मुखिया अमृतपाल सिंह।
पंजाब सरकार ने अमृतपाल सिंह को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए असम की डिब्रूगढ़ जेल में पिछले सवा साल से कैद किया हुआ है। कल अमृतपाल सिंह लोक सभा का चुनाव जीत चुके हैं और उन्हें 4 लाख से भी ज्यादा वोट मिले हैं। सवाल अब यह है कि जिसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता कैद किया हुआ है, उसे चार लाख लोग वोट दे चुके हैं, तो कैसे वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
अमृतपाल सिंह की जीत कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है। पहला यह की इस जीत के बाद उन पर लगाए एनएसए का क्या महत्व रह गया है। इसके लिए उन पर लगाए एनएसए को समझना होगा। एनएसए के तहत तब किसी को हिरासत में लिया जाता है जब सरकार को लगे की वह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है या खतरा बन चुका एक बात और कि एनएसए के तहत सिर्फ अमृतपाल सिंह ही नही बल्कि उनके 9 और साथी भी एनएसए के तहत पिछले सवा साल से हिरासत में हैं, उनका कसूर सिर्फ इतना है की उन्होंने अमृतपाल सिंह का साथ दिया था। अब कल के चुनावी नतीजे तो यह बता रहे हैं की अमृतपाल सिंह के साथ तो अब खड्डूर साहिब के 4 लाख से ही ज्यादा लोग आ आ गए हैं। अब उनका क्या?
अमृतपाल सिंह की जीत पर सीनियर एडवोकेट आर एस बैंस ने कहा की उनकी लोक सभा सीट पर जीत से उन पर लगाए एनएसए के आरोप तो खत्म नहीं होते हैं, लेकिन इस जीत ने पंजाब सरकार को कठघरे में जरूर लाकर खड़ा कर दिया है, सरकार पर अब सवाल उठेंगे की जिस इंसान को उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना है, उसको तो आम लोगों को बड़ा भारी समर्थन मिल रहा है।
सीनियर एडवोकेट आर एस बैंस ने कहा कि अब सरकार कैसे साबित कर पाएगी कि अमृतलाल सिंह को वह किस आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पिछले सवा साल से खतरा बताती चली आ रही है।
अजनाला थाने पर हुए हमले और अन्य गतिविधियों को लेकर अगर पंजाब सरकार ने अमृतपाल सिंह पर एनएसए की बजाय आईपीसी के तहत अपराध की ने धाराएं लगा गिरफ्तार किया होता तो उस केस में अमृतपाल सिंह का अदालत में ट्रायल चल रहा होता और सरकार के पास उसके खिलाफ सबूत भी काफी हैं तो अब तक तो अमृतपाल सिंह को शायद दोषी भी करार दिया जा चला होता। लेकिन सरकार ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ केस चलाने की बजाय उसे एनएसए के तहत डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया और उसके खिलाफ किसी भी का ट्रायल भी नही चलाया जा रहा। यह पूरी तरह से गलत है। अगर अमृतपाल सिंह के खिलाफ ट्रायल चल रहा होता तो यकीनन वह यह चुनाव भी न लड़ता।
सरकार द्वारा उसे अवैध तरीके से एनएसए लगा हजारों किलोमीटर दूर डिब्रूगढ़ जेल में बंद रखना गैर कानूनी है। उस पर की चला ट्रायल शुरू किया जाए, ताकि अगर वह दोषी है तो सजा दी जा सके, लेकिन इस तरह सवा साल से उसेबिना किसी ट्रायल के हिरासत में रखना ठीक नहीं है। इसी के खिलाफ अमृतपाल सिंह ने मजबूर होकर लोक सभा का चुनाव लड़ा और इस चुनाव के नतीजे सरकार की मंशा पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं।