'पोर्ट ब्लेयर अब हुआ श्री विजयपुरम', वो अंग्रेज अधिकारी जिसके नाम पर था पोर्ट ब्लेयर का नाम?

By  Md Saif September 14th 2024 12:31 PM -- Updated: September 14th 2024 02:44 PM

ब्यूरोः केंद्र सरकार ने अंडमान-निकोबार (Andaman-Nicobar) की राजधानी पोर्टब्लेयर (Port Blair) का नाम बदलकर श्री विजयपुरम (Shri Vijayapuram) कर दिया है। इसकी जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश को औपनिवेशिक छाप से मुक्त करने के लिए पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजया पुरम’ करने का फैसला किया गया है। पहले के नाम में औपनिवेशिक छाप थी। वहीं अब नया नाम स्वतंत्रता संग्राम की जीत का प्रतीक है। अंडमान-निकोबार में ही चोल साम्राज्य के समय नेवल बेस हुआ करता था। इसके अलावा सुभाष चंद्र बोस ने यहां तिरंगा लहराया था और यहीं की सेल्युलर जेल में वीडी सावरकर को रखा गया था। इस जगह का नाम साल 1789 में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी आर्चीबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। 


जिनके नाम पर था नाम पोर्टब्लेयर, कौन थे वो अंग्रेज अफसर? 

एक दौर में पोर्टब्लेयर शहर फिशिंग का केंद्र बिंदु हुआ करता था। ब्रिटिश शासन काल में अंडमान निकोबार द्वीपसमूह सामरिक दृष्टि से काफी ज्यादा मायने रखता था। यहां से बाकि इलाकों पर नजर रखना आसान था। लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर एक ब्रिटिश नौसेना अधिकारी थे, जिन्होंने 18वीं शताब्दी की शुरुआत में रॉयल नेवी में सेवा की थी। ब्लेयर के करियर को ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रयासों में कई योगदानों द्वारा चिह्नित किया गया था। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उनकी उपस्थिति इस दूरस्थ और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र पर ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा थी। 1789 में, बंगाल सरकार ने ग्रेट अंडमान की दक्षिण-पूर्वी खाड़ी में चैथम द्वीप पर एक कॉलोनी की नींव रखी और इसका नाम आर्चीबाल्ड ब्लेयर के सम्मान में रखा।

फिर इस जगह का नाम आर्चीबाल्ट ब्लेयर के नाम पर रख दिया गया। अंडमान और निकोबार को विकसित करने में ब्लेयर ने काफी अहम भूमिका निभाई थी। पूर्वी बंगाल की खाड़ी को अपने कब्जे में लेने के लिए पोर्टब्लेयर को कब्जे में लेना अंग्रेंजों के लिए बेहद जरूरी था। फिर  यहां से प्रशासनिक और व्यापारिक गतिविधियां भी चलाई जाती थीं। 


क्यों जाना जाता है पोर्ट ब्लेयर?

पोर्ट ब्लेयर आजादी से काफी पहले से ही प्रसिद्ध है। इसी जगह पर सेलुलर जेल मौजूद है। इस जेल को भारतीय इतिहास की सबसे कुख्यात जेल कहते हैं। इस जेल को पहले काला पानी की सजा के तौर पर जाना जाता था। यह जेल पोर्ट ब्लेयर शहर में अटलांटा प्वाइंट पर स्थित है। इस जेल को साल 1906 में अंग्रेजों ने बनवाया था। यहां भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करके रखा जाता था। बटुकेश्वर दत्त, बाबाराव सावरकर, विनायक दामोदर सावरकर और दीवान सिंह को भी इसी जेल में बंद करके रखा गया था। फिलहाल ये जगह पर्यटन के लिहाज से काफी ज्यादा फेसम है। यहां देश-विदेश से सैलानी घूमने आते हैं। 

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