Waqf Amendment Bill 2024 लोकसभा में पेश, रिजिजू बोले- ये हक देने वाला बिल, हमें शाबाशी देनी चाहिए

By  Rahul Rana August 8th 2024 03:18 PM

ब्यूरो: सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने निचले सदन में विधेयक पेश किया। निचले सदन को संबोधित करते हुए रिजिजू ने कहा कि विधेयक किसी भी संस्था की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक संस्था की शक्ति छीनने के बारे में नहीं है, बल्कि उसे मजबूत करने के बारे में है।

केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, सरकार ये संशोधन इसलिए ला रही है, क्योंकि आप ऐसा करने में विफल रहे। अगर आप विधेयक का समर्थन करते हैं, तो आपको करोड़ों महिलाओं का आशीर्वाद मिलेगा।

उन्होंने कहा, इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा...किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है, जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले।




कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने निचले सदन में विधेयक का विरोध किया।



भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद राजीव रंजन सिंह जिन्हें ललन सिंह के नाम से भी जाना जाता है, ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि हर संस्था को पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए।

विधानिक व्यापार नोटिस में कहा गया है, किरेन रिजिजू वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने के लिए विधेयक पेश करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। साथ ही विधेयक पेश करने के लिए भी।

विपक्षी दलों ने बुधवार को मांग की कि विधेयक पेश किए जाने के बाद इसे जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाए, जबकि सरकार ने व्यापार सलाहकार समिति से कहा कि वह लोकसभा की भावना का आकलन करने के बाद इस पर फैसला करेगी।

इस बात की प्रबल संभावना है कि सरकार इस विधेयक को संसदीय पैनल को भेजने पर सहमत हो सकती है, जिसका कुछ मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार के एजेंडे का समर्थन करने वाली कुछ पार्टियों ने भी प्रस्तावित कानून पर अपनी आपत्ति जताई है।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने समिति की बैठक में कहा कि सरकार गुरुवार को इस बात पर फैसला लेगी कि विधेयक को संसदीय जांच के लिए भेजा जाए या नहीं। इस बैठक में प्रमुख दलों के सदस्य शामिल हैं और सरकार अपने प्रस्तावित एजेंडे पर चर्चा कर रही है। उन्होंने कहा कि विधेयक पर विपक्ष का रुख कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय उन विपक्षी सदस्यों में शामिल थे जिन्होंने विधेयक को पेश किए जाने के बाद जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की। संयोग से, लोकसभा की विभाग-संबंधी स्थायी समितियों का गठन अभी होना बाकी है। सरकार द्वारा इस तरह की कार्रवाई का फैसला किए जाने की स्थिति में विधेयक की जांच के लिए स्थायी समिति की अनुपस्थिति में सदन एक अलग पैनल बना सकता है। 

वक्फ (संशोधन) विधेयक क्या है?

वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने वाले इस विधेयक में मौजूदा अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का भी प्रावधान है।

इस विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, यह बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रयास करता है, जो यह तय करती है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। यह केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक संरचना का प्रावधान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।

इस विधेयक में बोहरा और अगाखानियों के लिए औकाफ के एक अलग बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है। मसौदा कानून में मुस्लिम समुदायों में शिया, सुन्नी, बोहरा, अगाखानियों और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान है।

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