मुस्लिम महिलाओं को तलाक के बाद मिलेगा गुजारा भत्ता, धर्मनिरपेक्ष कानून के ऊपर कुछ नहीं- सुप्रीम कोर्ट

By  Rahul Rana July 10th 2024 04:14 PM

ब्यूरो: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बार फिर से मुस्लिम महिलाओं के हक में फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक को रद्द करने वाले सरकार के फैसले पर मोहर लगा चुका है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला को CRPC की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार है।

क्या था पूरा मामला

दरअसल एक शख्स ने हैदराबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उस शख्स को अपनी पूर्व पत्नी को 10 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता देने के लिए कहा था। शख्स ने हाईकोर्ट के गुजारा भत्ता देने वाले निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) कानून 1986 का हवाला दिया था। लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह अधिनियम धर्मनिरपेक्ष कानून पर हावी नहीं होगा। जिस वजह से CrPC की धारा 125 के अंतर्गत मुस्लिम महिलाएं भी तलाक के बाद गुजारा भत्ता की हकदार होंगी।


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। जस्टिस नागरत्ना ने अपील खारिज करते हुए कहा, हम आपराधिक अपील को इस निष्कर्ष के साथ खारिज कर रहे हैं कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि सिर्फ विवाहित महिलाओं पर। बेंच ने यह साफ कर दिया कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत किसी याचिका के लंबित रहने के दौरान किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो जाता है, तो वह 2019 के मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम का सहारा ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से यह स्पष्ट कर दिया कि गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी महिलाओं के लिए मान्य होगा, न कि केवल विवाहित महिलाओं के लिए।

CRPC की धारा 125 क्या है?

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 में पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण को लेकर जानकारी दी गई है। इस धारा के अनुसार पति, पिता या बच्चों पर आश्रित पत्नी, मां-बाप या बच्चे गुजारे-भत्ते का दावा तभी कर सकते हैं जब उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं हो।

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