BJP की 'उम्र नीति' पर फिर से सवाल, '75 प्लस' नियम PM मोदी पर क्यों नहीं होता लागू?

By  Raushan Chaudhary September 16th 2024 02:16 PM -- Updated: September 16th 2024 06:20 PM

डेस्क: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी (Narendra Modi 75th Birthday) 17 सितंबर 2024 को 75 साल के हो रहे हैं और बतौर प्रधानमंत्री ये उनका तीसरा कार्यकाल है। इस बार बीजेपी (BJP) भले पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में विफल रही हो, लेकिन टीडीपी और जेडीयू के सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब रही। साल 2014 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था और 30 सालों का रिकॉर्ड तोड़कर 283 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा गठबंधन ने कुल 336 सीटें जीती थीं। यहीं से बीजेपी में नेताओं की उम्र को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी, बदलती रणनीति भी नज़र आने लगी थी।

 

2014 में ही दिख गई थी रणनीति की झलक

 

2014 में जब पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट चुनी थी, तो उन्होंने 75 साल (BJP 75 year age rule)  से ऊपर के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी थी। उस समय लाल कृष्ण आडवणी (Lal Krishna Advani) 86 और मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) 80 वर्ष के थे। इन दोनों नेताओं को बीजेपी ने मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया था, जिसका बीजेपी के कुछ नेताओं ने विरोध भी किया था। ये पैटर्न आगे भी जारी रहा और जून 2016 में मध्य प्रदेश कैबिनेट विस्तार के दौरान 75 साल पार कर रहे बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को भी मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को भी 80 पार करने पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं दी गई, हिमाचल प्रदेश के दिग्गज माने जाने वाले शांता कुमार को भी इसी तरह साइड लाइन कर दिया गया था।

 

जब कटा था आडवाणी और जोशी का टिकट

 

हालांकि इस बात की चर्चा तेज़ होने के बाद उस समय अमित शाह ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी में न तो कोई ऐसा नियम है और न ही परंपरा कि 75 साल की आयु पार कर चुके नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाए। बयान अपनी तरफ लेकिन चुनावों में बीजेपी अपनी नीति पर ही कायम दिखी और एक समय मार्ग दर्शन मंडल शामिल किए आडवाणी और जोशी का टिकट 2019 में काट दिया। उस समय एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा भी था कि पार्टी ने फैसला किया है कि 75 साल से ज़्यादा उम्र के नेताओं को टिकट ना दिया जाए।  

 

हालांकि उस समय पार्टी में कुछ नेता अपवाद ज़रूर थे, जैसे बीएस येदुरप्पा, जो कि 80 साल के होने के बाद भी कर्नाटक में कमान संभाल रहे थे। साथ ही कलराज मिश्र और नज़मा हेपतुल्ला भी 75 प्लस के बाद मोदी कैबिनेट में नज़र आए थे। वहीं इस समय की बात करें तो जीतनराम मांझी 79 साल की उम्र में मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। हालांकि वो बीजेपी में नहीं हैं बल्कि सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा हैं।

 

केजरीवाल ने लगाए थे कयास

 

2024 लोकसभा चुनाव के दौरान अंतरिम ज़मानत पर तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद चुनाव प्रचार अभियान पर लौटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा था कि “2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देना अमित शाह को प्रधानमंत्री के रूप में वोट देने के समान होगा, क्योंकि 17 सितंबर 2025 को 75 वर्ष के होने पर पीएम मोदी राजनीति से संन्यास ले लेंगे”। केजरीवाल ने कहा था “अगर उनकी (बीजेपी) की सरकार बनती है, तो वे सबसे पहले योगी आदित्यनाथ को हटाएंगे और फिर अमित शाह को देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे। पीएम मोदी अमित शाह के लिए वोट मांग रहे हैं। क्या अमित शाह मोदी की गारंटी पूरी करेंगे? वहीं किसी वक़्त मोदी के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एक साक्षात्कार में कहा था- ये नियम बनाया तो मोदी जी ने ही है, तो ये उन पर है कि वो इस नियम को मानेंगे या नहीं?

 

 क्या कहा था अमित शाह ने?

 

चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, मैं अरविंद केजरीवाल और पूरे ‘इंडिया’ ब्लॉक से कहना चाहूंगा कि आपको इस बात पर खुश होने की कोई ज़रूरत नहीं है कि मोदी जी 75 साल के हो रहे हैं। भाजपा के संविधान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि आपको रिटायर होना है। पीएम मोदी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और देश का नेतृत्व करते रहेंगे। इस पर भाजपा में कोई भ्रम नहीं है।

 

पीएम मोदी पर क्यों नहीं लागू होता ‘75 प्लस’ वाला नियम?

 

लोकसभा चुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी के उम्मीद के मुताबिक न आया हो, लेकिन नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के रिकॉर्ड की बराबरी भी कर ली। इसी के साथ ये साबित हो गया कि नरेंद्र मोदी पर बीजेपी का '75 प्लस' वाला नियम लागू नहीं होता और वो कम से कम 2029 तक प्रधानमंत्री तो हैं ही। पॉलिटिकल पंडितों का भी यही मानना है कि नरेंद्र मोदी अलग तरह के नेता हैं और अभी काफी एक्टिव हैं।

 

मोदी को इस उम्र में भी सभी नेताओं से अलग बनाने वाली कई चीज़ें हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बातें हैं:

 

  • नेतृत्व शैली: मोदी की नेतृत्व शैली बहुत ही सक्रिय और प्रभावी है। वे अक्सर जनता के बीच में रहते हैं और उनकी समस्याओं को सुनते हैं।

 

  • संचार कौशल: पीएम मोदी का संचार कौशल बहुत मजबूत है। वे सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग करते हैं और अपने विचारों को सीधे जनता तक पहुंचाते हैं।

 

  • विजन और योजनाएं: पीएम मोदी के पास विकास के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण और योजनाएं हैं, जैसे 'मेक इन इंडिया', 'स्वच्छ भारत', और 'डिजिटल इंडिया', जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती हैं।

 

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध: मोदी ने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार हुआ है।

 

  • जनता से जुड़ाव: मोदी का जनता से सीधा जुड़ाव और उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता उन्हें एक विशेष स्थान देती है।

 

ये सभी पहलू मिलकर मोदी को एक अलग पहचान और प्रभावशाली नेता बनाते हैं। आगे उनकी सेहत पर बात कर लेते हैं.

 

 

मोदी अपनी फ़िटनेस को बनाए रखने के लिए कई उपाय करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

 

  • योग और व्यायाम: मोदी नियमित रूप से योग करते हैं, जो उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है। वे अक्सर योगासन और प्राणायाम का अभ्यास करते हैं।

 

  • संतुलित आहार: उनका आहार स्वस्थ और संतुलित होता है। वे ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन करते हैं, और जंक फूड से दूर रहते हैं।


  • नियमित दिनचर्या: मोदी की दिनचर्या बहुत अनुशासित होती है। वे जल्दी उठते हैं और अपने दिन की शुरुआत व्यायाम और ध्यान से करते हैं।

 

  • मानसिक स्वास्थ्य: वे मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्व देते हैं, जिससे उनकी समग्र सेहत में सुधार होता है। ध्यान और प्राणायाम उनके मानसिक संतुलन में मदद करते हैं।

 

  • सकारात्मक सोच: मोदी की सकारात्मक सोच और उत्साह भी उनकी फ़िटनेस में योगदान करते हैं। वे चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहते हैं।

 

इन सभी उपायों के माध्यम से मोदी अपनी फ़िटनेस को बनाए रखते हैं और सक्रिय जीवनशैली जीते हैं। ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी के सामने आगे कोई चुनौती नहीं है.

 

 

मोदी के लिए 75 वर्ष की उम्र के बाद की चुनौतियां कई प्रकार की हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:

 

  • स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां: उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं। उन्हें अपनी फिटनेस और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार पर ध्यान देना होगा।

 

  • राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: उम्र के साथ, नए नेताओं का उदय और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। मोदी को अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए नए विचार और दृष्टिकोण पेश करने होंगे।

 

  • जनता की अपेक्षाएं: जनता की अपेक्षाएं समय के साथ बदलती हैं। पीएम मोदी को ये सुनिश्चित करना होगा कि वे जनता की ज़रूरतों और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील रहें।

 

  • अंतरराष्ट्रीय संबंध: वैश्विक राजनीति में बदलाव के साथ, मोदी को भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मज़बूत बनाए रखने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित करनी होंगी।

 

  • सामाजिक मुद्दे: सामाजिक मुद्दों, जैसे कि बेरोज़गारी, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, पर ध्यान देना होगा। इन मुद्दों का समाधान करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

 

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मोदी को अपनी नेतृत्व क्षमता, अनुभव, और दृष्टिकोण का सही उपयोग करना होगा।

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