लहसुन सब्जी है या मसाला?, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुलझाया विवाद

By  Deepak Kumar August 14th 2024 04:04 PM -- Updated: August 14th 2024 04:06 PM

ब्यूरोः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने लहसुन को सब्जी या मसाला के रूप में लंबे समय से चली आ रही बहस को समाप्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने लहसुन को आधिकारिक रूप से सब्जी के रूप में माना है, जिससे इसे सब्जी और मसाला दोनों बाजारों में बेचने की अनुमति मिल गई है। इस निर्णय से उन किसानों और व्यापारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है जो पहले लहसुन को मुख्य रूप से मसाले के रूप में बेचते थे।

कब से शुरू हुआ लहसुन विवाद

यह विवाद 2015 में तब शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश के एक किसान संगठन ने मंडी बोर्ड को लहसुन को सब्जी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए राजी किया। हालांकि, कृषि विभाग ने इस निर्णय को तुरंत पलट दिया और लहसुन को कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1972 के तहत मसाले के रूप में दोबारा वर्गीकृत किया। जवाब में आलू, प्याज और लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने 2016 में इस निर्णय को चुनौती दी और मामले को उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में ले गया।

कानूनी विवाद और तर्क

फरवरी 2017 में, एकल न्यायाधीश ने एसोसिएशन के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे व्यापारियों के बीच विवाद छिड़ गया, जिन्होंने तर्क दिया कि इस निर्णय से मुख्य रूप से किसानों के बजाय कमीशन एजेंटों को लाभ हुआ। याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी ने जुलाई 2017 में एक समीक्षा याचिका दायर की, जिसके कारण हाल ही में जस्टिस एस.ए. धर्माधिकारी और डी. वेंकटरमन ने फैसला सुनाया। पीठ ने 2017 के फैसले को बरकरार रखा, पिछली व्यवस्था को बहाल किया, जिसके तहत किसानों को एजेंटों को कमीशन दिए बिना सीधे बाजार में अपनी उपज बेचने की अनुमति थी।

कोर्ट का अंतिम रुख

कोर्ट ने यह भी कहा कि हालांकि लहसुन को मसाले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन इस वर्गीकरण को बदलना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। कोर्ट ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला।इसलिए, इस समय इसके वर्गीकरण के बारे में कोई और निर्णय नहीं लिया जा सकता है, सिवाय इसके कि इसे सब्जी माना जाता रहेगा।

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