Chaitra Navratri 2024 Day 2: चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित, जानिए इसकी पूजा विधि और मंत्र

By  Rahul Rana April 10th 2024 08:04 AM

Chaitra Navratri 2024 Day 2: चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए इस दिन मां के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। 

धार्मिक मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी की महिमा के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगर आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस विधि-विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। आइए, जानते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप, पूजा विधि और मंत्र के बारे में....

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मां की महिमा अनोखी है। उनके चेहरे पर एक दीप्तिमान आभा दिखाई देती है। इससे सारा संसार जगमगा उठता है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। मां की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान की देवी भी कहा जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि 

  • नवरात्रि के दूसरे दिन स्नानादि से निवृत्त होकर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें। 
  • कलश के पास ही मां शैलपुत्री की प्रतिमा के बगल में मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • माता को सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं।
  • इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें।
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें।
  • अंत में ब्रह्मचारिणी माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मां ब्रह्मचारिणी के लिए भोग 

नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को चीनी, सफेद मिठाई या मिश्री का भोग लगाया जाता है। इस दिन, आप घर पर काजू की बर्फी भी बना सकते हैं। इससे व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है और आरोग्य प्राप्त होता है। ऐसा करने से परिवार के लोगों में सुख शांति बनी रहती है और घर में सुख समृद्धि का वातावरण बना रहता है।

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

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