बजट से पहले संसदीय दल की बैठक, विपक्ष ने उठाए NEET समेत कई मुद्दे
ब्यूरोः संसद के मानसून सत्र से पहले आज (21 जुलाई) नई दिल्ली स्थित संसद भवन एनेक्सी के मुख्य समिति कक्ष में सर्वदलीय बैठक हो रही है। संसद के बजट सत्र से पहले हो रही सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू कर रहे हैं। संसद के दोनों सदनों में राजनीतिक दलों के फ्लोर नेताओं के साथ बैठक हो रही है। बता दें संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त को समाप्त होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में तिरुचि शिवा, एआईयूएमएल नेता ई.टी. मोहम्मद बशीर, जन सेना पार्टी के नेता बाला कृष्ण, बीजद नेता सस्मित पात्रा, जदयू नेता संजय झा, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, प्रफुल्ल पटेल, चिराग पासवान और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद हैं।
कांग्रेस ने उठाया नीट का मुद्दा
सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नीट का मुद्दा उठाया और ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाया। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने विपक्ष के लिए लोकसभा उपाध्यक्ष का पद भी मांगा है। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्ग पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर नामपट्टिकाओं का मुद्दा उठाया। इसके अलावा बिहार और आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने समेत तमाम मांगों को उठाया।
राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि परंपरागत रूप से सर्वदलीय बैठक इसलिए होती है ताकि हम सदन की कार्यवाही से जुड़े मुद्दे उठा सकें। हम महंगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक, चीन से जुड़े सुरक्षा मुद्दे, संसद में मूर्तियों को हटाने, किसान, मजदूर, मणिपुर, रेल दुर्घटना जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। हम नीट के मुद्दे पर भी चर्चा करने का पूरा प्रयास करेंगे।
टीएमसी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अनुपस्थित रहे क्योंकि वे शहीद दिवस मनाने के लिए पश्चिम बंगाल में थे। 21 जुलाई शहीद दिवस उन 13 कांग्रेस समर्थकों की याद में मनाया जाता है, जो 1993 में मारे गए थे, जब कोलकाता पुलिस ने राज्य सचिवालय, राइटर्स बिल्डिंग तक मार्च के दौरान गोलियां चलाई थीं। उस समय पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था। उस समय ममता बनर्जी राज्य युवा कांग्रेस की प्रमुख थीं। 1 जनवरी, 1998 को तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के बाद भी, उन्होंने हर साल एक रैली के साथ इस दिन को याद करना जारी रखा है।