Lok Sabha Election 2024: इस बार आसान नहीं बीजेपी की राह, इन सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में कांटे का मुकाबला

By  Deepak Kumar April 26th 2024 07:57 PM

ब्यूरोः कांग्रेस की टिकटों की घोषणा के बाद हरियाणा में अब लोकसभा चुनावों की रणभेरी की गुजं सुनाई देने लगी है। गुरुग्राम सीट को छोड़कर कांग्रेस ने अपने चुनावी योद्धा मैदान में उतार दिए हैं। भले ही इनेलो ने भी उम्मीदवारों का ऐलान पहले कर दिया हो मगर जनता का मानना है कि यह चुनाव इस बार भाजपा बनाम कांग्रेस के बीच आर पार का चुनाव है। या इसे विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल भी मान सकते हैं। 

हरियाणा में लोकसभा चुनाव की 10 सीटों के लिए 25 मई को वोटिंग होगी। हालत अब ये हैं कि कांग्रेस की टिकटों की घोषणा के बाद भाजपा के लिए कड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में 10 की 10 लोकसभा सीट जीतकर अपना परचम लहराया था लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस बार फिजां बदली बदली है। ना प्रदेश में माेदी का वो जलवा है जो पहले था और न उम्मीदवारों का क्रेज। इसलिए यह कहा जा सकता है कि अबकी बार भाजपा की राह काफी कठिन नजर आ रही है। अब सबसे बड़ा प्रशन यह है कि  क्या वहा पिछली बार का प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती  को पूरा कर पाएगी। 

हरियाणा की सभी सीटों का सिलसिलेवार विश्लेषण

रोहतक लोकसभा सीट: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को रोहतक से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भाजपा ने अरविंद शर्मा को फिर से मैदान में उतारा है। अरविंद शर्मा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा को बहुत कम वोटो के अंतर से पटखनी दी थी। मगर इस बार हालत यह है कि अरविंद शर्मा को गांवों में नहीं घुसने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं भाजपा में अंदरखाने भी कुछ नेता अरविंद शर्मा के समर्थन में खुलकर नहीं आ रहे हैं ऐसे में माना जा रहा है कि इस सीट एकबार फिर से  कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। परिणाम कुछ भी हो सकता है ऐसा लोग मानते हैं।

हिसार लोकसभा सीट:  हिसार लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस ने जयप्रकाश जेपी को मैदान में उतारा है। जय प्रकाश की गिनती हरियाणा के खुर्राट नेताओं में होती है। उनका मुकाबला देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह से हैं। रणजीत सिंह को कईं गांवों में काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं ब्राह्मणों के खिलाफ उनकी एक प्रतिकि्रया और कुलदीप बिश्नाई का सक्रिय न होना उन्हे भारी पड़ रहा है। दूसरा जय प्रकाश के पास हिसार में पुरानी व दमदार वर्करों की फौज है जो उन्हे चुनावों में मजबूती से खड़ा करना में सहायता करती है। आदमपुर  से चुनाव लड़ने के साथ साथ हिसार से कईं बार सांसद रह चुके जयप्रकाश पर कांग्रेस ने दांव खेलकर बीजेपी के सामने बड़ी लाईन खींच दी है।

सिरसा लोकसभा सीटः सिरसा में कांग्रेस की तरफ से कुमारी शैलजा को मैदान में उतारा गया है। उनके सामने कई बार पार्टियां बदले चुके अशोक तंवर हैं। किसान आंदोलन का गढ़ रहने के कारण सिरसा व फतेहाबाद में तंवर को प्रचार में काफी परेशानी का सामने करना पड़ रहा है। वहीं कुमारी शैलजा सिरसा लोकसभा सीट से पहले भी दो बार सांसद रह चुकी है। उनके पिता भी चौधरी दलबीर सिंह सिरसा में कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। 2019 में सिरसा लोकसभा सीट से अशोक तंवर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था, जबकि अबकी बार बीजेपी की टिकट पर वह मैदान में है। माना जा रहा है कि इस बार इस सीट से भाजपा को फ्री हैंड मिलना मुश्किल है।

सोनीपत सीटः सोनीपत में कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। सतपाल ब्रह्मचारी सन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम हैं। मूलतः वह जींद के गांगोली गांव के रहने वाले हैं। कांग्रेस ने जींद जिले की जो तीन विधानसभा आती है, उनमें से लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर कड़ी चुनौती दी है। जबकि भाजपा ने अपनी पार्टी के राई के विधायक और पार्टी के महामंत्री मोहनलाल बडोली पर दाव खेला है। यहां भी चुनाव बड़ा ही रोचक होने वाला है और दोनों में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।

कुरुक्षेत्र लोकसभा सीटः कुरुक्षेत्र सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता मैदान में है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से बीजेपी ज्वाइन करवा कर उद्योगपति नवीन जिंदल पर अपना दांव खेला है. कुरुक्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। क्योंकि इंडियन नेशनल लोकदल ने भी इनेलो के प्रमुख नेता और ऐलनाबाद से विधायक अभय चौटाला को मैदान में उतारा है।

भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभाः भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर भाजपा ने दो बार के सांसद धर्मवीर सिंह पर ही एक बार फिर से दांव खेला है तो वहीं कांग्रेस ने शानदार फैसले का परिचय देते हुए महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह पर अपना भरोसा जताया है और उन्हें उम्मीदवार बनाया है। 34 साल में यह पहला अवसर होगा जब भिवानी लोकसभा सीट से चौधरी बंसीलाल परिवार से कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं होगा। जानकार मानते हैं कि रावदान सिंह को चुनाव में मजबूती से  खड़ा रहने व धर्मबीर से पार पाने के लिए किरण चौधरी को साथ लेकर चलना होगा।  बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी दो बार भिवानी से सांसद रही तो दो बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अब धर्मवीर सिंह और राव दान सिंह में मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है। राव दान सिंह के लिए सबसे पल्स प्वाइंट ये है कि वे अहिरवाल बैलट से आते हैं और माना जा रहा कि अगर वहां से उन्हे ठीकठाक लीड मिल गई तो धर्मबीर की नैया इस बार मझधार में आ सकती है। 

करनाल लोकसभाः करनाल लोकसभा से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा पार्टी के युवा अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा पर विश्वास जताया है। माना जा रहा कि दिव्यांशु बुद्धि राजा  मनोहर लाल के मुकाबले कमजोर कैंडिडेट हैं। मगर उनका पंजाबी समुदाय से संबंध रखना और युवा होना काफी कुछ मायने रखता है।  अब देखना होगा कि युवा चेहरा एक मंझे हुए चेहरे को कितनी टक्कर दे पाता है। पुराने समय में युवा चेहरे छत्रपाल ने मंझे हुए नेता चौधरी देवीलाल को मात दे दी थी, जो की काफी चर्चा का विषय रहा था।

फरीदाबाद लोकसभाः फरीदाबाद सीट से कृष्ण पाल गुर्जर लगातार दो बार से सांसद बन रहे हैं और केंद्र में मंत्री पद से भी उन्हें नवाजा गया है। अबकी बार उन्हें गुर्जर समुदाय के ही बड़े नेता और हरियाणा सरकार में पूर्व में मंत्री रहे महेंद्र प्रताप से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। महेंद्र प्रताप को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। लोगों का कहना है कि अगर जाट वोट महेंद्र प्रताप के पक्ष में ठीक ठाक सेट हो गए तो कृष्ण पाल समस्या में आ सकते हैँ। 

अंबाला लोकसभाः अंबाला लोकसभा से भाजपा ने सांसद रहे रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया को मैदान में उतारा है और प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने मुलाना से विधायक वरुण चौधरी पर अपना विश्वास जताया है। बंतो कटारिया को जहां रतनलाल कटारिया के स्वर्गवासी होने के बाद यह टिकट मिला है तो उन्हें भावनात्मक लहर से जीतने की उम्मीद है और नरेंद्र मोदी का नाम का सहारा है। मगर माना जा रहा है कि बंतो को चुनाव में जीतने के लिए अंबाला में विनाेद शर्मा, अनिल विज का सहारा लेना होगा वरना उनकी डगर काफी कठिन हो सकती है। वरुण मुलाना युवा चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं और विधानसभा में बेस्ट विधायक का खिताब जीत चुके हैं। वरुण मुलाना के पिता फूलचंद मुलाना कांग्रेस के बड़े नेता रहे और प्रदेश कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे हैं।

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